साड़ी यह कई महिलाओ का पसंदीदा पोशाख है | कहा जाता है महिलाए किसी अन्य परिधान की अपेक्षा साड़ी में अधिक सूंदर दिखती है | भारतीय शादी में अधिकतर महिलाओ को साड़ी पहनना पसंद है , भले ही सबकी अपनी अलग -अलग पसंद हो जैसे कोई नौवारी साड़ी पहनना पसंद करती है , तो कोई बनारसी साड़ी , तो कोई कांचीवरम साड़ी इस तरह अधिकतर महिलाओ की शादी -विवाह में पहली पसंदीदा पोशाख साड़ी है | हम हमारे ब्लॉग में साड़ी के विभिन्न प्रकार की जानकारी देते रहे है | इसी के अंतर्गत हम आज आपको संबलपुरी साड़ी ( Sambalpuri Saree ) की जानकारी देने जा रहे है |
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संबलपुरी साड़ी एक पारंपरिक साड़ी है , जो की हाथ से बुनी हुई " इकत साड़ी " है | स्थानीय भाषा में इसे "संबलपुरी बंध " साड़ी के नाम से जाना जाता है | इस साड़ी का उत्पादन भारत में ओडिशा राज्य के सम्बलपुर , बलांगीर , बरगढ़ , बौध और सोनपुर जिलों मे होता है | इस साड़ी में ताना और बाना पहले रंगा जाता है | कहा जाता हे , मूल रूप से इस साड़ी को काश्मीर के कुछ लोगो ने बनाया था | राजा ने काश्मीर के बुनकरों से कहा की अपने ज्ञान का प्रसार करने ओडिशा आए परन्तु रास्ते में वे लोग अपना रास्ता भूलकर सम्बलपुर क्षेत्र में बस गए |
हाथ से बुनी जाने वाली एक सामान्य साड़ी को बुनने में 2 से 3 सप्ताह तक का समय लगता है | परन्तु डिज़ाइन के आधार पर कुछ साड़ियों को पुरा होने में 5 से 6 महीने तक लग जाते है | अन्य रेशम साड़ियों की तुलना में संबलपुरी साडिया पहनने में बहूत आरामदायक होती है | इसके डिज़ाइन बोहत ही आकर्षक होते है | यह साड़ी शादियों , त्यौहारों और उत्सव के आयोजनों लिए बढ़िया विकल्प है |
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इस साड़ी के धागे को पहले रंग कर के फिर साड़ी बुनने की प्रक्रिया के कारण इस साड़ी के रंग अधिक साल तक टिक कर रहते है | इन साड़ियों में पारम्परिक रूपांकनों में शंख , चक्र , फूल आदि का समावेश मुख्य रहता है तथा रंगो में गहरे रंग मुख्यतः पसंद किये जाते है |