आज की पिढी या इसके पहले की पिढी या यह कह सकते हे की प्राचीन काल से ही महिलाओ में साड़िया पहनने का क्रेज रहा है , परन्तु वक्त के साथ साड़ी की पसंद , साड़ी की कीमत , साड़ी पहनने का तरीका तथा साड़ी की डिज़ाइन आदि में बोहत अधिक अंतर आया है | इसी को ध्यान रखते हुए हम आपको विभिन्न प्रकार की साड़ी की जानकारी देते रहेंगे | इसी के अन्तर्गत आज हम आपको चंदेरी साड़ी (Chanderi Saree ) की जानकारी देने जा रहे है |
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Pure Chanderi Fabric यह एक पारम्परिक एथिनिक फेब्रिक है , इसकी विशेषता यह है की यह वजन में हल्का तथा इसकी बनावट बोहत बढ़िया और शानदार होती है | चंदेरी के कपडे पारंपरिक सूती धागे में रेशम और सुनहरी जरी से बनकर तैयार किये जाते है | चंदेरी यह मध्यप्रदेश की फेमस साड़ी है | मध्यप्रदेश के छोटे से शहर चंदेरी में यह साड़ी निर्मित की जाती है | इस साड़ी की खासियत की इसे आज भी हथकरघे पर बुना जाता है | इस साड़ी का अपना इतिहास रहा है , पहले ये साड़ी बड़े - बड़े राजघराने की महिलाये या सम्पन्न परिवार की महिलाओ द्वारा ही पहनी थी तथा यह आम लोगो की पहुंच से बोहत दूर थी , परन्तु जैसे - जैसे वक्त बदला अब साड़ी आम लोगो तक भी पहुंच चुकी है | कहते है चंदेरी साड़ी को बनाने में बोहत अधिक दिन लगते है , अतः कारीगर इस साड़ी को बाहरी नजर से बचाने के लिए हर मीटर पर एक काजल का टिका लगाते है |
चंदेरी साडीया हमेशा अपने हल्के रंगो के लिए लोकप्रिय रही है , परन्तु आजकल कुछ आधुनिक कलर की साडिया जैसे Navy Blue Chanderi Saree ,White Chanderi Saree , Red Chanderi Saree , Black Chanderi Saree आदि कलर से भी सुशोभित है |
साड़ी की डिज़ाइन में चंदेरी कपडे पर दिखाई देने वाली रूपांकनों को हाथ के द्वारा बुना जाता है , जिसे बुनने के के लिए अलग -अलग तरह की सुइयों का प्रयोग किया जाता है | चंदेरी के कुछ फेमस आकर्षक रूपांकनों की बात करे तो इसमें जंगला , अशरफी , बूंदी , चुरी , केरी आदि है |
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यह साड़ी हल्की होने के कारण गर्मी के साथ -साथ शादियों में या पूजा पाठ आदि मे पहनने के लिए प्रथम विकल्प होना चाहिए , अतः Chanderi Saree की इन्ही खूबियों के कारण यह देश के साथ -साथ विदेश में भी बोहत अधिक फेमस है | International Market में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है |
चंदेरी सिल्क साड़ी ( Chanderi Silk Saree ) के बनावट के हिसाब से इसकी विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है | इस पर किये गए बारीक़ काम को सुरक्षित रखना चाहिए तथा सीधे धुप में ना सुखाकर छाया में सुखाना चाहिए |