Dharmavaram Pattu | धर्मावरम साड़ी | Dharmavaram Silk

                               भारतीय साड़ियां बोहत ही आकर्षक होती है | चाहे वो उसकी बनावट के कारण हो या हस्तशिल्प के कारण हो  या अन्य किसी कारण से हो , इसलिए साड़ियों की डिमांड भारत के साथ - साथ विदेशो में भी प्रचुर मात्रा में रहती है | इन साड़ियों को बनाने वाले भारतीय कारीगर इतने अधिक निपुण है, की अपनी कला से साड़ियों को और अधिक आकर्षक बनाते जा रहे है | इसी कारण अनादि काल से अब तक साड़ियों की डिमांड निरंतर बढ़ती गई है | इसी के अंतर्गत हम आज आपको अत्यंत सूंदर धर्मावरम साड़ी ( Dharmavaram Saree ) की जानकारी देने जा रहे है | 

Dharmavaram Saree
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                                     धर्मावरम , आंध्रप्रदेश में रॉयल सीमा क्षेत्र के अनंतपुर जिले में एक छोटा सा शहर है | इस प्राचीन शहर का  नाम " "धर्मम्बा "  के नाम  पर पड़ा जो की शहर के संस्थापक क्रिया शक्ति वोडवारु स्वामी जी की माँ थी | इसी शहर धर्मावरम में इस साड़ी का उत्पादन होने के कारण साड़ी का नाम धर्मावरम साड़ी पड़ा | इस क्षेत्र में शहतूत के पेड़ो की प्रचुर मात्रा होने के कारण , रेशम उत्पादन कई लोगो की पहली पसंद बना जिस कारण इस साड़ी का अधिक उत्पादन इसी क्षेत्र में होता है  | धर्मावरम साड़ियों की उत्पति के साक्ष हिंदपुर के पास "लेपाक्षी मंदिर" की छत की दीवारों के चित्रों में पाए जा सकते है | 



                                धर्मावरम साड़ी को "शादी की साड़ियों" के रूप में भी जाना जाता है | जिसका  बनारसी व कांजीवरम साड़ियों के साथ शीर्ष दावेदारों में  नाम अंकित किया जाता है | इन साड़ियों को बुनने के लिए दो जैकक्वार्ड लगे पिट लूम और फ्रेम लूम का इस्तेमाल किया जाता है | एक जैकक्वार्ड का उपयोग बॉर्डर डिज़ाइन की बुनाई के लिए तथा दूसरे का उपयोग शरीर व  पल्लू में डिज़ाइन बुनाई के लिए किया जाता है | 


धर्मावरम साड़ी
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                                  इस साड़ी में प्रचुर मात्रा में सोने की जरी का प्रयोग किया जाता है | इस कारण साड़ी की चमक और भव्यता इस साड़ी को बाकी साड़ियों से अलग बनाती है | यह साड़ी असली रेशम से बनी होती है | इसके रेशम की वास्तविकता की पहचान जलाकर कर सकते है | अर्थात यदि यह बिना अवशेष छोड़े बालो की तरह जलता तो असली रेशम है | 


                                  पहले यह साड़ी पिले , लाल और मैरून के संयोजन से बनती थी | परन्तु अधिक  डिमांड के   कारण बुनकरों के द्वारा अन्य रंगो में भी इसे बनाकर मार्केट में उपलब्ध करवाया गया  है  | इस साड़ी के रूपांकनों में मंदिर डिज़ाइन , हाथी , मोर और कमल जैसे भारतीय डिज़ाइन शामिल है | इस साड़ी को बुनने लिए 4 से 8 दिन का समय लगता है | 


                                 इस साड़ी की इन सभी खूबियों के कारण इस साड़ी की डिमांड भारत के साथ-साथ विदेशो  भरपूर मात्रा में है | इस साड़ी को आंध्रप्रदेश राज्य द्वारा जीआय टेग भी प्राप्त है |   
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