भारतीय महिलाओ में Blouse Design के साथ - साथ साड़ी का भी बोहत क्रेज है | महिलाये हमेशा नई तरह की साडीया पहनती रहती है , इसी को ध्यान में रखकर हम हमारे ब्लॉग में ब्लाउज डिज़ाइन के साथ -साथ साड़ी डिज़ाइन की जानकारी देने का प्रयास कर रहे है | इसी क्रम में हम इस ब्लॉग में आपको कांजीवरम साड़ी की जानकारी साझा कर रहे है |
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आज सबसे प्रसिद्ध साड़ी के बारे में जानेंगे जिसका नाम है कांजीवरम साड़ी ( Kanjivaram Saree ) , इस साड़ी का इतिहास कई साल पुराना है | यह साड़ी तमिलनायडु के एक गांव कांजीपुरम में बनाई जाती है , इसलिए इस साड़ी का नाम कांजीवरम पड़ा | इस साड़ी में उपयोग किया गया सिल्क बाकि साड़ियों से थोड़ा भारी होता है ,तथा साड़ी पर बनाई जाने वाली डिज़ाइन भी बोहत अधिक आकर्षक होती हैं ,जिसमे मोर ( Peacock) तथा तोते (Parrot ) की डिज़ाइन मुख्यतः बनाई जाती है |
कांजीवरम साड़ी को बनाने के लिए बुनकरों द्वारा शुद्ध शहतूत के रेशम के धागो का प्रयोग कर बुना जाता है | इस कारण यह साड़ी अपने रंग और बनावट के कारण बोहत ही अधिक आकर्षक लगती है | इस साड़ी का मुख्य आकर्षण इसका पल्लू होता है , जिसे अलग से बनाकर साड़ी में जोड़ा जाता है | यह साड़ी अन्य तुलना में चौड़ाई में थोड़ी बड़ी होती हैं |
इस साडी के कपडे की कठोरता को बनाये रखने के लिए धागो को पहले चावल के पानी में डालकर तथा फिर उसको सुखाकर फिर थीम सिल्वर वायर को सिल्क धागे से इंटरलॉक करते है , इसके बाद बुनाई को पूरा करने के लिए सुनहरे धागे का प्रयोग किया जाता है | इन्ही सब प्रक्रिया के कारण कांजीवरम को सबसे मजबूत तथा टिकाऊ कपड़ो की श्रेणी में रखा जाता है |
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भारतीय कांजीवरम साड़ी में उपयोग किये जाने वाले रूपांकन , पल्लव मंदिरो ,महलो , मोर ,तोता और अनेक तरह के चित्रों पर आधारित है | साधारणतः इस साड़ी को बनाने लिए 10 से 20 दिन समय लगता है |
कांजीवरम साड़ी की इस उत्कृष्ट कारीगरी और बनावटी प्रक्रिया के कारण यह इतनी आकर्षक होती है , की पहनने वाली महिलाओ को एक Royal Look प्रदान करती है | इस साड़ी की इसी खासियत के कारण बॉलीवुड की बोहत से अभिनेत्रियों की कांजीवरम साड़ी यह पहली पसंद है |