साड़ी यह परिधान भारतीय संस्कृति का अहम् हिस्सा है | साड़ी यह भारतीय परिधानों में सबसे लम्बा परिधान माना जाता है | अनादिकाल से साड़ी यह परिधान स्त्री के सम्मान को प्रदर्शित करता है | पहले से लेकर अब तक साड़ी की हस्तकला या बुनाई में विभिन्न परिवर्तन हुए है | इसी के आधार पर साडीयो को विभिन्न प्रकार में बाटा गया है | यह सभी साड़िया भारत में भिन्न -भिन्न भौगोलिक स्थितियों एवं विभिन्न स्थानों के आधार पर अलग -अलग प्रकारो में प्रादेशिक रूप में प्रचलित हुई है | जैसे महाराष्ट्र की नऊवारी साड़ी , मध्यप्रदेश की चंदेरी साड़ी , राजस्थान की बांधनी साड़ी आदि।
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हम हमारे ब्लॉग simpleblousedesign.com में निरन्तर नई -नई साडियो की संक्षिप्त में जानकारी देते आ रहे हैं | इसी के अंतर्गत हम आज आपको गढ़वाल सिल्क साड़ी ( Gadhwal Silk Saree ) जानकारी देने जा रहे है |
गढ़वाल सिल्क भारत की बेहतरीन सिल्क साड़ियों में से एक है | यह वजन में हल्की होने के कारण पहनने में बोहत आसान है | गढ़वाल साड़ी को सिको साड़ी ( Sico Saree ) के नाम से भी जाना जाता है | गढ़वाल साड़ी का उत्पादन मुख्यतः तेलंगाना के छोटे से गांव गड़वाल तथा उसके आसपास के क्षेत्रो में किया जाता है | गड़वाल न केवल इतिहास में समृद्ध है | बल्कि अपनी हथकरघा जरी साड़ियों के लिए भी जाना जाता है |
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गढ़वाल साड़ी बोहत पतली तथा मुलायम होती है | कहा जाता है , गढ़वाल साड़ी की बुनाई इतनी हल्की होती है की इस साड़ी को माचिस की डिब्बी में भी पैक किया जा सकता है | यह साड़ी इतनी सूंदर व् आकर्षक होती है ,की कहा जाता है ,तिरुपति के ब्रम्होत्सव की शुरुवात भगवान की मूर्ति को गढ़वाल साड़ी से सुशोभित करने के साथ होती है |
यह साड़ियां चमकदार होती है | लेकिन पहचान सीमा के डिज़ाइन से होती है | सीमाओं के डिज़ाइन में डिज़ाइनर धारियां , मंदिरो और सिक्को के रूपांकन तथा फूलो पत्तियों के रूपांकनों से सुशोभित होती है | इन साड़ियों की इन्ही खासियतों के कारण सभी तरह के कार्यक्रम में इसे पहनना बोहत ही सुविधाजनक होता है |