भारत में कई प्रकार की साडीया मिलती हैं , हर साड़ी का अपना इतिहास हैं | इन सभी साड़ियों की बनावट तो अलग है ही साथ ही साथ इनको बनाने के तरीको में बोहत अधिक भिन्नता है तथा इन साड़ियों की डिमांड कुछ प्रदेशो में अधिक रहती है और कुछ में कम इसी के अन्तर्गत आज हम आपको राजस्थान और गुजरात में अधिक डिमांड वाली साड़ी , बांधनी साड़ी - Bandhani Saree के बारे में जानकारी देने का प्रयास कर रहे है |
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बंधनी इस शब्द को संस्कृत के शब्द बंधना या बंध लिया गया है , जिसका अर्थ होता है बांधना | बंधनी छोटी -छोटी गाठो को बांधकर सूंदर पैटर्न में इन्हे अलग -अलग रंगो में रंगने की कला को कहते है | बांधनी का सबसे पुराना प्रमाण सिंधु घाटी की सभ्यता से मिलता है जहा रंगाई 4000 ईसा पूर्व की थी | बांधनी मे कपड़ो पर गाठो को कसकर बांधा जाता है | यह जो हजारो छोटी - छोटी गाठे होती है इन्हे गुजरात में " भिंडी " नाम से जाना जाता है | इन गाठो को अलग -अलग चरणों में रंग किया जाता है , जिससे जहां गाठ बंधी हो वहां रंग नहीं होता तथा वह गाठ खोलने पर कपडे पर यह डिज़ाइन के रूप में अलग -अलग कलर में सूंदर डिज़ाइनर पैटर्न दिखाई देता है | मुख्यतः यह काम खत्री समुदाय द्वारा किया जाता है |
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जैसे की हम बता चुके की भारत में गुजरात तथा राजस्थान इन दो प्रदेशो में Bandhani Saree की मांग अधिक रहती हैं | दुनिया के कई हिस्सों में Bandhani Saree या Bandhej Saree बनाने की इस प्रक्रिया को टाई एंड डाई (Tie & Dye ) के रूप मे भी जाना जाता है |
महिलाओं मे बांधनी साड़ी बोहत अधिक लोकप्रिय है | इस साड़ी को शुभ माना जाता है | शादी में दुल्हन द्वारा भी इस साड़ी को पहना जाता है | महिलाएं मुख्यतः पूजा पाठ में इस साड़ी को पहनाना पसंद करती है |
बांधनी में मुख्यतः लाल , पिले तथा सफ़ेद रंग के कपडे पर बांधनी प्रक्रिया द्वारा डिज़ाइन बनाई जाती है |