भारतीय हस्तकला अपने आप में बोहत उकृष्ट है | चाहे वो किसी भी सन्दर्भ में हो जैसे बर्तन पर नकाशी हो , मंदिरो की नकाशी हो या कपडा उद्योग में हो | हम हमारे ब्लॉग में भारतीय साड़ी की हस्तकला की बात करते है | भारत में रेशम साड़ी की एक पारम्परिक शैली रही है | रेशम से बनी साड़ियों द्वारा या अन्य साड़ियों द्वारा भारत के हर राज्य ने अपनी प्रादेशिक कला और शिल्प के आधार पर प्रसिद्धि पाई है | सभी राज्यों द्वारा अपनी उकृष्ट हस्तकला की सहायता से साड़ियों का निर्माण किया जाता है , अपितु इसकी सम्पूर्ण भारत के अलावा अन्य देशो में भी बोहत डिमांड है | जैसे केरल की कसावु साड़ी , पंजाब की फेमस फुलकारी साड़ी , राजस्थान की लहरिया'साड़ी आदि परन्तु आज हम बिहार की फेमस भागलपुरी साड़ी (Bhagalpuri Saree ) की जानकारी देने जा रहे है |
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बिहार राज्य का एक जिल्हा जिसे " भागलपुर " नाम से जाना जाता है | जिसे भारत में "रेशम शहर" के नाम से भी जानते है | यहाँ बनने वाली भागलपुर सिल्क साड़ी भारत के अलावा विदेशो में भी बोहत फेमस है | इस साड़ी को "टसर सिल्क " नाम से भी जाना जाता है |
भागलपुरी साड़ी का इतिहास बोहत पुराना है | यह कला विलुप्त होने के कगार पर थी ,परन्तु कई साल पहले कुछ कारीगरों द्वारा फिर की गई कोशिश से फिर प्रकाश मे आयी तथा उसके बाद सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओ द्वारा इस रेशम को फिर पहचान देना शुरू कर दिया | अब तो भागलपुर जिल्हे की अर्थव्यवस्था में इस भागलपुर सिल्क का बोहत बड़ा योगदान है | कहते है यहाँ 25000 से 35000 से अधिक बुनकरों के साथ भागलपुर में सालाना 100 करोड़ का कुल बाजार है |
भागलपुरी रेशम प्राकृतिक रंगो से बनाया जाता है , जो की पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल भी है | इसे बनाने की प्रक्रिया में रेशम के कीड़ो को कोई नुकसान नहीं होता इसलिए रेशम को बनाने की अहिंसक प्रक्रिया के कारण इस रेशम को " शांति रेशम " के नाम से भी जाना जाता है |
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यह साड़ी वजन में काफी हल्की होती है तथा इसके डिज़ाइन नाजुक और जटिल होते है | इस साड़ी को आकर्षक डिज़ाइन और आकर्षक रूपांकनों को बनाये रखने के लिए जाना जाता है | इस साड़ी को बारहो महीने पहना जा सकता है |
भागलपुर ओरिजनल साड़ियों ( Bhagalpuri Pure Silk Saree ) में हाथ से बनी साड़ी की डिमांड ज्यादा है | इस कपडे से भागलपुर शॉल , दुपट्टा , कुर्तियां आदि के लिए भी प्रसिद्ध है | इस साड़ी की मांग भारत में तो है ही अपितु अंतराष्ट्रीय डिमांड होने के कारण इसे निर्यात भी किया जाता है |