भारत विविधता वाला देश है , यहाँ सभी का अपना -अपना रहन सहन का तरीका है | यहाँ तक के लोगो के पहनावे भी एक दूसरे से भिन्न है , फिर भी सभी लोग आपस में मिलजुलकर रहते है | परन्तु साड़ी यह पहनावा सभी समाज की महिलाये पहनना पसंद करती है | इन साडीयो में स्वदेशी साडीयो की डिमांड अधिक रहती है | इन में से बोहत सी साडीयो को प्रादेशिक रूप में भी लोकप्रियता मिली है | अर्थात किसी प्रदेश में कोई तो किसी प्रदेश में कोई ओर साड़ी प्रसिद्ध है | इसी के अंतर्गत आज हम आपको बंगाल की पारंपरिक व फेमस तांत साड़ी (Tant Saree ) की जानकारी देने जा रहे है |
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Tant Saree पारम्परिक बंगाली साड़ी हैं | यह साड़ी मुख्यतः बांग्लादेश और भारत में पश्चिम बंगाल में बुनी जाती है | यह बंगाली पारम्परिक साड़ी होने के कारण मुख्यतः बंगाली महिलाओ द्वारा पहनी जाती है | यह साड़ी सूती धागो से बुनी जाती हैं तथा यह साड़ी हल्की होती है |
Tant Saree का इतिहास बोहत पुराना है | कहते है मुग़ल काल में मलमल के साथ -साथ तांत प्रसिद्ध हो गए थे परन्तु ब्रिटिश सरकार ने मैनचेस्टर शहर में कपडा उद्योग की रक्षा के लिए तांत बुनाई के उद्योग को नष्ट करने की कोशिश की लेकिन यह कला बिलकुल भी नष्ट नहीं हुई , बल्कि आज भी विकसित हो रही हैं |
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1947 में बंगाल विभाजन के बाद बांग्लादेश के कई बुनकर भारत आ गए , इन बुनकरों का पश्चिम बंगाल में पुनर्वसन किया गया | जो की अपने साथ पैतृक बुनाई परंपरा भी लाये , जिससे इस साड़ी को बुनने की कला का पश्चिम बंगाल में भी अधिक विकास हुआ | इस साड़ी की बुनाई मुख्यतः मुर्शिदाबाद , नादिया और हुगली ( पश्चिम बंगाल में ) तथा तंगेल , ढाका ( बांग्लादेश में) जिल्हे अधिक लोकप्रिय है | बुनकरों द्वारा अतीत में इसे बनाने के लिए हथकरघा का प्रयोग किया जाता था , परन्तु बाद में इसका स्थान पावर लूम ने ले लिया |