साड़ी इस परिधान को प्राचीन काल से महिलाओ द्वारा पसंद किया जाता है | आज बाजार में विभिन्न रंग और प्रकार की साड़ियां उपलब्ध है | कई महिलाओ का मन साड़ी पसंद करते समय अवश्य विचलित होता होगा | साड़ी पसंद करने की इस उलझन को हमारे ब्लॉग simpleblousedesign.com के माध्यम से विभिन्न प्रकार की साड़ियों की जानकारी हासिल करके कुछ हद तक दूर किया जा सकता है | अभी तक हम हमारे ब्लॉग की सहायता से विभिन्न तरह की 32 साड़ियों की जानकारी आपसे साझा कर चुके है | इसी के अंतर्गत आज हम आपको चिकनकारी साड़ी ( Chikankari Saree ) या Chikankari Work Saree की जानकारी देने जा रहे है |
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चिकन का मतलब कढ़ाई होता है | चिकन के काम के निर्माण की तकनीक को चिकनकारी नाम से जाना जाता है | चिकन मलमल ,रेशम , शिफॉन ,नेट आदि जैसे विभिन्न प्रकार के वस्त्रो पर एक नाजुक व् कलात्मक रूप से की गई कढ़ाई है | यह कढ़ाई इन्ही तरह के हल्के कपड़ो पर ही की जाती है | सख्त कपडा कढ़ाई को मुश्किल बना देता है , क्यों की सुई इन कपडे के आर-पार आसानी से नहीं जा पाती | पहले चिकनकारी मात्र सफ़ेद रंग के धागो से ही की जाती थी | परन्तु वक्त के साथ बदलते फैशन के चलते अब रंगीन और रेशमी धागो का प्रयोग भी चिकनकारी में किया जाने लगा |
चिकनकारी भारतीय शहर लखनऊ की एक पारम्परिक शैली है | यह एक लोकप्रिय और सर्वोत्तम वस्त्र सजावट शैली भी है | कहा जाता है,लख़नऊ में चिकनकारी का काम 200 साल से भी पुराना है | इस कला को बाद में कई राजाओ या नवाबो का संरक्षण मिला | कहा जाता है , की मुग़ल सम्राट जहाँगीर की पत्नी नूरजहाँ ने इस कला को सीखा तथा इस कला को आगे बढ़ाया | लख़नऊ तथा इसके आस -पास के भागो में कई परिवार चिकनकारी के काम में शामिल है | जो की निरंतर Lakhnavi Work Saree या Lakhnavi Chikan Saree का निर्माण करते रहते हैं |
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चिकनकारी वर्क से सुशोभित साड़ी को चिकनकारी साड़ी के नाम से जाना जाता है | यह साड़ी भारतीय महिलाओ के बीच काफी लोकप्रिय है | बाजार में नई तरह की Designer Chikankari Saree आती है इनमे Heavy Chikankari Saree , Chikankari Saree Georgette आदि इन साड़ियों को बनाने के लिए हल्के वजन की सामग्री का प्रयोग किया जाता है | जो की हल्के और सूंदर रंगो से रंगे रहते हैं जिससे यह साड़ी दैनिक पहनने के लिए एक आरामदायक साड़ी है |